________________
घत्ता- पयभरधरणपवीणु
रज्जंगसमिद्ध
दुरुज्झि यमिच्छत्तमलु। सो णिउ इंदु व अतुलवलु ।।५।। 10
5
तहो वाउवेय णामेण घरिगि पइवय णावइ परलोयकु हिणि णारी सुहलक्खणलक्खियंगि मुहणयहि जियच्छणससिकुरंगि । तहे अहिग वजोवगु वणु विहाइ अरुणच्छवि णं अंकुरि उ भाइ । अइरत्तपाणिपल्लव चलंतु
वेल्लहल बाहुवल्ली ललंतु । कोमलजंघारंभा सहंतु
सियआसियणयणकुसुमई ललंतु। पिहुपीणपहर फलमहंतु
अलयावलि अलि उलसोह दितु । रत्ताहरविवोहल फुरंतु
सच्छाउ सविन्भउ तिलयवंतु । चंदणकप्पूरहि महमहंतु
खयरवर वि सयवर दिहि जणंतु। घत्ता- तहिं तें खयरणिवेण लक्खण गुणसंजत्तउ ।
जणिउ पुत्तु मणवेउ संगु अणंगु व वुत्तउ ।। ६ ।।
10
सो णंदणु णंदगु सज्जणाहं गावइ मसिकुव्वउ दुज्जणाहं । वट्टइ व मणोरहु वंधवाहं
णं वज्जणिहाणु अवंध वाहं । आवासु समग्गसईहे
जो जा उवाउ वेयासईहे। सो अबसें परतिय परिहरेइ परधणु ण कयाइ वि अवहरेइ । परजीविउ णियजीविउ गणेइ हिउ मिउ मउ सच्चु वयणु व भणेइ । 5 परिगहे पमाणसंखा करेइ विणएणप्पाण अलंक रेइ । इय पंचाणुव्वय विणयजुउ. गुणवयसिक्खावयधम्मरउ । साहइ विज्जाउ ण वल्लियउर णाणाविहपवर-गुणल्लियउ। धत्ता- सो णियतायहो गेहि अत्थसत्थु जाणंतउ ।
माणसवेउ कुमारु हुउ जोव्वण गुणवंतउ ।। ७ ।।
10
सहयरखेयरमणणंदणहो
कीलंतहो खगबइणंदणहो । खाइयसम्मत्तविराइयहो
जिणवयणरमय-अणुराइयहो । (5) 1.a तहि, 3.a सज्जणणिहय०, 4.a Page No. 4th is lost after
वंधवपरिय, 10.a.b अत्तुलवलु । (7) !.b वट्ठइ, 6a from here page No.5 continues, 8.a गुणिल्लियउ,
a.b सत्य सत्थ, 10.b जोवण ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org