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________________ ५. मइ, ममाहि ७. अहम्मि, मए ८. तुमं विशेषण १) परिमाणवाचक विशेषण गुणवाचक विशेषण रीतिवाचक विशेषण अव्यय (ii) समय वाचक iii) रीतिवाचक iv) षष्ठी रूप v) संबन्धवाचक - सहुँ संख्यावाचक शब्द - i) स्थानवाचक - एत्थु, जेत्थु, तेत्थु, केत्थु, इह, कह, कहिं, एतहि, हि इह जा, जाम, ताम, जाव, ताव, एमहि, तावहि अह, जह, किह, जेम, तेम, तह, तहा, तहो अम्हारउ, तुम्हारउ, अम्हकेरउ - Jain Education International १०६ am अम्हार्हितो अम्हासु, ममेसु -- जीवड, तेवडु, केवडु, एवडु, जेत्तउ, केत्तिउ, तेत्त - एहउ, जेहउ, तेहउ, अम्हारिस ऐहु, जेहु, तेहु जेम, केम, जिह, किह - एक्कु, दो, विष्णि, तिउ, तिण्णि, चउ, चयारि, पंच, छ, सत्त, अट्ठ, नव, दस, दह, एयारह, बारह, तेरह, चउदह, चउदस, पण्णारह, पंचदह, सोलह, सत्तारह, अठ्ठारह, वीस, बावीस, पंचवीस, सत्तावीस, पणवीस, तीस, तेतीस, वत्तीस, चालीस, पंचास, सउसढु, चउसट्ठि, बाहत्तरि, छहत्तरि, पंचासी, सय, सहसु, लक्ख, कोडि, कोडा कोडि संख्यावाचक विशेषण - पढमु, वीउ, वीऊ, तइउ, चउत्थो, पंचमो, छट्ठो, छहो, सत्तमो, अट्ठमो, नवमो, दसमो, दहमो, एयारहमो, चलक्क, पंचहि तिहि तद्धित प्रत्यय अल्ल, आल, आर, आवण, इक्क, हण, इल, इर, उल्ल, एर, त्तण, ल क्रिया रूप अपभ्रंश में क्रियाओं के वर्तमान और भविष्य वाचक रूप अधिक मिलते हैं । भूतकाल का काम प्रायः कुदन्त शब्दों से निकाला आत्मनेपद गया है। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003672
Book TitleDhammaparikkha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherSanmati Research Institute of Indology Nagpur
Publication Year1990
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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