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गया है। इनके शीर्ष भागों पर भी वत्स और नन्दीपाद भी हैं। बरामदे के बाहर हथियारों से युक्त दोनों और एक एक चौकीदार दोनों मंजिलों की रक्षा कर रहे हैं। लोगों ने इनके सिर और मुखों को क्षत-विक्षत कर उन्हें विकृत करदिया है।
बरामदा की दाहिनी ओर पश्चिम भाग में एक छोटा प्रकोष्ठ है। उसके प्रवेश द्वार के तोरण के ऊपर फूलों से सुसज्जित कला विद्यमान है। इस कोठी के दरवाजों के दाहिने भाग के मुखौटे पर एक छोटा अभिलेख है जो घिस गया है। यह अभिलेख निम्न प्रकार है : कुमारो वडुख स लेणं अर्थात् कुमार वडुख की गुंफा ।
इस गुम्फा की महत्वपूर्ण आकृति बुरी सरह से नष्ट हो गाई है प्रमुख खण्ड के द्वितीय और तृतीय प्रवेश पथ के मध्य में धार्मिक चिन्ह की पूजा करने का दृश्य विद्यमान है। यह दृश्य उस समय की स्मृति को अमर बनाने के लिए उत्कीर्णित किया गया हैं, जब सम्राट खारवेल ने मगध नरेश से कलिंग जिन को वापस ला कर पिथंड में
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कलिंग जिन की पूजा करते हुए सपरिवार राजा खारवेल
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