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________________ १२ दोलमुन्डाइ के जगन्नाथ मंदिर के आले में कटक शहर में त्र-षभनाथ कि मूर्ति है। यह बहुत सुन्दर है। जो लगभग ३०बर्ष पहले एक तालाब से प्राप्त हुई थी। १३ चावलियागंज कटक (चैत्यालय) में चन्द्रप्रभुशान्तिनाथ, महावीर स्वामी, पद्मावती, और क्षेत्रपाल की एक-एक मूर्ति है। १४. जयपुर, दश्वासमेध घाट के गणेश मंदिर में शान्तिनाथ की सुन्दर मूर्ति है। १५. मंगराजपुर (जयपुर) बड़ चरपोई में चौमुखा है। १६. प्रताप नगर के आसपास से प्राप्त जैन तीर्थंकरों की १४ जैन तीर्थंकरों की सभी मूर्तियाँ नव निर्मित जैन संग्रहालय में संचित कर दी गई है। (देखें परिशिष्ट-१) १७. भाणपुर में कांसे की पार्श्वनाथ की मूर्ति एक छोटे मंदिर में राखी हुई है। १८. जाउँलिया पट्टी (कटक शहर) में पार्श्वनाथ की मूर्ति है। काजी बाजार, कटक सहर में नव निर्मित श्वेताम्बर जैन मंन्दिर में मारबल और कांसे की एक-एक नवीन मूर्तियाँ उपलब्ध हैं। झाड़ेश्वर पुर (कुशमंडल) में गणधर पूर्वधर, श्रावक, श्राविका की मूर्तियाँ जमीन से निकाली गई हैं। २१. बरूनिया में त्र-षभनाथ की मूर्ति है। २१. लेन्द्र भगवानपुर केन्दुपाटना के पास में एक जैन चौमुखा है। २२. अतुटग्राम में कनकेश्वर महादेव मंदिर में पार्श्वनाथ और त्र-षभनाथ की एक एक मूर्ति है और एक तीर्थकर की पहिचान नहीं हो सकी। केउँझर जिला यह एक जंगली इलाका है। आनन्द पुर सवडिभीजन में जैन स्मारको के केन्द्र विद्यमान हैं । आनन्दपुर केउँझर जिले के वैतरणी नदी के किनारे पर अवस्थित है। यहाँ पर त्र-षि तड़ाग होने का उल्लेख जैन साहित्य में हुआ है। आनन्दपुर से १५ किलोमीटर की दूरी पर वैदखिआ नामक गाँव है। इस ग्राम से लगभग २/३ किलोमीटर ४८ For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003670
Book TitleUdisa me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalchand Jain
PublisherJoravarmal Sampatlal Bakliwal
Publication Year2006
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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