SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 142
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७. महावीर की मूर्ति : यह सफेद संगमरमर से निर्मित ध्यानावस्था में विराजमान है । वि.सं २०५१ में इस मूर्ति की स्थापना होने का उल्लेख प्राप्त है। इनका चिन्ह सिंह भी उत्कीर्णित है । ८. शांतिनाथ : इन की दाहिनी ओर की दूसरी पंक्ति में शांतिनाथ भगवान् की लगभग ५ इंच और छोटी मूर्ति है जिसकी स्थापना वि. सं २००७ में हुई थी। इनका चिन्ह हिरन भी नीचे उत्कीर्णित है। यह मूर्ति भी पद्मासन अवस्था और ध्यानमुद्रा में संस्थापित है। पार्श्वनाथ की मूर्ति : पार्श्वनाथ भगवान् की यह मूर्ति बहुत छोटी लगभग ३ इंच ऊँची है । ९ फणी सर्प सिर के ऊपर फण फैलाये हुए है। यह वि. सं २०५७ की मूर्ति है । १०. आदिनाथ : यह अष्ट धातु से निर्मीत मूर्ति कायोत्सर्गावस्था में खड्गासंन रूप में है। यह अष्ट धातु की चौकी पर खड़ी हुई सुशेभित होती है। इस प्रकार उक्त वेदी पर स्थापित मूर्तियों का वर्गीकरण निम्नांकित रूप से प्राप्त होता है । १. शांतिनाथ भगवान की, २ ३. आदिनाथ भगवान की, २ ५. चौबीसी की, १ २. पार्श्वनाथ भगवान की, ३ महावीर भगवान की, २ इस के अतिरिक्त दक्षिण की ओर के संगमरमर के आले में पदमावती की मूर्ति के शिर के ऊपर पार्श्वनाथ तीर्थंकर की मूर्ति है। इसी प्रकार क्षेत्रपाल (शासनदेव ) भी हैं। सभी मूर्तियां दिगम्बर आम्नाय की हैं। Jain Education International ४. अष्टमंगल द्रव्य : उक्त वेदी के नीचे अष्ठ मंगल द्रव्य भी है- भृंगार (झारी) कलष, दर्पण, चँवर, ध्वजा, पंखा, छत्र, और सुप्रतिष्ठ । १२९ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003670
Book TitleUdisa me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalchand Jain
PublisherJoravarmal Sampatlal Bakliwal
Publication Year2006
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy