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गया है। इसके पीछे की दीवाल पर अत्यधिक ऊँचाई पर तीन मूर्तियाँ उत्कीर्णित है। उन में से दो त्र-षभनाथ भगवान की है और एक तीर्थंकर नेमिनाथ की शासन देवी आम्रा की है। अनुमान किया जाता है कि आम्रा या अम्बिका देवी की मूर्ति के कारण ही लोगों ने इस गुम्फा का नाम अम्विका गुंफा रखा है। इन नक्कासी युक्त मूर्तियों और विभाजक दीवाल के अंशों के अलावा अब और कुछ भी दृष्टिगोचर नहीं होता है। उक्त मूर्तियों की कला के आधार पर विद्वानों की मान्यता है कि उक्त गुम्फा का निर्माण ई.सन्. ८वीं९वीं शताब्दी में हुआ होगा।
त्र-षभदेवकी दोनों मूर्तियाँ कायोत्सर्ग और खड़गासन अवस्था में हैं। तीर्थकर त्र-षभनाथ की दोनों मूर्तियाँ पंखुडीदार कमल की चौकी (पाद पीठ) पर दिगम्बर अवस्था में खड़ी हैं। उन मूर्तियों के नीचे उनके चिन्ह वृषभ भी दृष्टिगोचर होता है। उनके बाजू में दोनों ओर अष्टाग्रह चँवर ढ़ोने वाले माला पहने उड़ती हुई आकृतियां सिर पर कंपायमान तीन छत्र, मंजीरे और ढोल बजाते हुए अदर्शनीय हाथ और चैत्य वृक्ष हैं। उनके उलझे हुए गुच्छेदार अर्थात् धुंघराले बालों से उनका सिर सुशोभित होता है। उनके शिर के पीछे भामंडल दृष्टि गोचर होता है।
आम्र या आम के फलों से युक्त आम के वृक्ष के नीचे त्रिभंगिमाकार में आम्रा (अम्बिका)यक्षिणी की मूर्ति खड़ी हुई आंशिक दृष्टिगोचर होती है। मूर्ति बांयी से कुछ टूटी हुई है, लेकिन मुंह-मंडल और सिरोभूषण अभग्न है। उनके तीर्थकर नेमिनाथ भी योगासन में उनके पेड़ के उपर विराजमान हैं। उनके दाहिने हाथ की ओर एक लड़का भी खड़ा है। ११. ललाटेन्दु केशरी गुम्फा :
___ अम्बिका गुम्फा से कुछ और दक्षिण की ओर जाने पर ललाटेन्दु केशरी गुम्फा दृष्टिगोचर होती है। इस गुम्फा में दो कमरे और गुम्फा सामने एक बरामदा था, जो अब सब विनष्ट हो गया है। इस गुंफा के नजदीक के पहाड़ को भी काट दिया गया है। दीवार का अवशिष्ट भाग ऊपर चट्टान पर चिपका हुआ प्रतीत होता है। खंभे, दीवाले और फर्श नीव चट्टान के साथ खोद डाले गये है। दोनों कमरों की छतें समतल थीं।
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