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गुम्फा के गृह मुख पर एक लघु आलेख अंकित है। इस से ज्ञात होता है कि इस गुंफा का निर्माण खारवेल के पश्चात् हुआ है । यह भी ज्ञात होता है कि यह चूल कर्म का अजेय उपासना और आवास प्रकोष्ठ था । कहा है :
चूल कम्पस पसाती कोठजोय च
यह एक लम्बे प्रकोष्ठ वाली गुंफा है। इसकी छत किं चित वक्राकर है । इस के सामने बरामदा है, जिसमें एक ओर से बेंच है। इस बरामदो को दो घनाकार खम्भे साहार दिये हुए हैं और इस में दो द्वार-मार्ग हैं। इस गुंफा का सम्पूर्ण ढांचा शिल्पकला से विहीन है। कटावदार ब्रेकेट भी उल्लेखनीय है ।
१७. जगन्नाथ गुम्फा
नगा
जगन्नाथ गुम्फा का एक बृहत प्रकोष्ठ है । हरीदास गुम्फा से सटी हुई बांयीं ओर जगन्नाथ गुम्फा है। उदयगिरी के समस्त गुंफाओं के समस्त प्रकोष्ठों में यह सबसे बड़ा प्रकोष्ठ है। कहा जाता है कि पहले इस गुंफा में श्रीजगन्नाथ का एक रंगीन चित्र था ।
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कांटा नीकालवाने के लिये अपना मुँह खोलेहुए सारस
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