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________________ 104 जन धर्म और जीवन-मूल्य .. 10. देलवाड़ा (प्राब) शिलालेख22- देलवाड़ा (प्राबू) के जनमन्दिर के चौक में स्थिति वेदी पर यह शिलालेख है, जो सं० 1506 प्राषाढ़सुदि 2 को उत्कीर्ण किया गया था। इस शिलालेख से ज्ञात होता है कि प्राबू पर आनेजाने वाले यात्रियों आदि से कुछ विशेष प्रकार के कर लेने में छूट दी गयी थी। 11. वसन्तगढ़ (सिरोही) लेख23- सिरोही के वसन्तगढ़ के जनमन्दिर की प्रतिमा के आसन पर यह लेख उत्कीर्ण है । इसे सं० 1507 माघसुदि 11 बुधवार को अंकित किया गया था। यह चैत्य धांसी के पुत्र मादाक द्वारा स्थापित किया गया था। इसकी प्रतिष्ठा मुनि सुन्दरसूरि द्वारा की गयी थी। 24 प्रचलगढ प्रतिमा लेख25- प्रचलगढ़ (आबू) में आदिनाथ की धातुप्रतिमा है। इसकी चरण चौकी पर सं० 1518 वैशाख वदि 5 को यह लेख उत्कीर्ण किया गया था। यह प्रतिमा डूगरपुर के कलाकारों द्वारा निर्मित हुई थी तथा इसकी प्रतिष्ठा लक्ष्मीसागरसूरि ने अचलगढ़ के जिनालय में की थी। ___ इनके अतिरिक्त अन्य कई जन अभिलेख इस युग के प्राप्त हुए हैं । उनका धीरे-धीरे प्रकाशन हो रहा है । चित्तौड़दुर्ग के जन लेखों का प्रकाशन श्री सोमानी ने किया है। उन्हें शृगारचौरी के मन्दिर में अन्य 5 छोटे लेख भी मिले हैं । ये लेख सं० 1512 एवं 15 13 के हैं ।28 इसी तरह सतवीस देवरी का मूर्ति लेख भो नवीन है, जो सं० 1484 का है। इसमें नवीन जैन मन्दिर बनाने की सूचना है। श्रेष्ठि सुहद का नाम इसमें पहली बार पाया है ।27 मेवाड़ के अतिरिक्त महाराणा कुम्मा के समय में वागड़ में भी जनधर्म अच्छी उन्नत स्थिति में था। अतः इस प्रदेश में भी इस युग के कई महत्त्वपूर्ण अभिलेख प्राप्त होते हैं । वि० सं० 1461 के ऊपर गांव के अभिलेख में वागड़ के शासकों की वंशावली प्राप्त होती है ।28 महारावल पाता के बाद उनके पुत्र गजपाल के समय में वागड़ में जैनधर्म की अच्छी प्रगति हुई है। इसके राज्यकाल में कई जन ग्रन्थों की प्रतियां तैयार की गयी हैं ।29 वि. सं. 1526 के अभिलेख से गजपाल प्रौर सोमदास के राज्यकाल के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी मिलती है। जैनधर्म की जानकारी के लिए वागड़ के अभिलेखों का भी विशेष महत्त्व है। इन जन अभिलेखों की अपनी विशेष शैली भी है 130 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003669
Book TitleJain Dharm aur Jivan Mulya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherSanghi Prakashan Jaipur
Publication Year1990
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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