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________________ १८ हे प्रभो ! तेरापंथ किया। भयंकर कष्टों के मध्य श्री भारमलजी आचार्य भिक्षु के साथ छाया बनकर रहे व स्वामीजी ने कष्ट-सहिष्णुता के विविध प्रयोग उन पर किए। 'भिक्षु भारीमल' गुरु-शिष्य की युगल जोड़ी की तुलना 'महावीर-गौतम' की इतिहास-प्रसिद्ध गुरु-शिष्य की जोड़ी से की जाने लगी । संघ के मर्यादापत्र के साथ ही तेरापंथ धर्मसंघ का आकार निश्चित हो गया। स्थानकवासी बावीस सम्प्रदायों में आपस में कहीं-कहीं गहरे मतभेद हैं और स्वयं एक-दूसरे की सम्यक्त्व व साधना को संशय की दृष्टि से देखते हैं और उन सम्प्रदायों की संख्या भी बढ़ रही है व उनमें एक भीखणजी का टोला भी चल सकता था पर उनके द्वारा आचार्य भिक्षु का तीव्र विरोध व स्वामीजी की उत्कट तप-साधना, प्रखर मेधा व गहन अध्ययन के साथ-साथ तेरापंथ के पथक नामकरण व मर्यादापत्र की व्यवस्थाओं ने तेरापंथ को एक निश्चित व संपुष्ट पृथक आकार दे दिया और बावीस सम्प्रदायों के साथ उसका संबंधित होना असंभव ही नहीं हो गया वरन् उस सम्प्रदाय के विरुद्ध एक नई धर्म-क्रान्ति के सूत्रपात का प्रतीक बन गया व इस कारण शताब्दियों तक 'तेरापंथ' व बावीस सम्प्रदाय के बीच मधुर संबंधों के स्थान पर कटुता का वातावरण अधिक रहा। विहार व धर्म-प्रचार आचार्य रुघनाथजी महाराज के सम्प्रदाय में रहते भिक्षु स्वामी ने आठ चातुमसि क्रमशः मेड़ता (संवत् १८०६), सोजत (१८१०), बलूदा (१८११), जैतारण (१८१२), बागोर (१८१३), सादड़ी साहरी (१८१४), राजनगर (१८१५) व जोधपुर (१८१६) में बिताए, जिनमें राजनगर के चातुर्मास में 'तेरापंथ' की भावना का उदय हुआ व जोधपुर चातुर्मास में उसकी कुछ रेखाएं खींची गईं। आचार्य रुघनाथजी से पृथक होने के बाद आचार्य भिक्षु ने ४४ चातुर्मास किए, जिनकी तालिका स्थान एवं कालक्रम से इस प्रकार है १. केलवा " २. बड़लू ... ३. सिरीयारी ४. राजनगर ५. पाली ६. कंटालिया ७. खैरवा ८. बगड़ी ६. माधोपुर चातुर्मास ६ संवत् १८१७, २१, २५, ३८, ४६, ५८ १ ॥ १८१८ __, १८१६, २२, २६,३६, ४२, ५१,६० १ , १८२० , ७ , १८२३,३३, ४०, ४४, ५२,५५,५६ १८२४, २८ __" ५ । १८२६, ३२,४१, ४६ ५४ , १८२७, ३०, ३६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003668
Book TitleHe Prabho Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSohanraj Kothari
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1989
Total Pages206
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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