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________________ आचार्यश्री तुलसी का युग... १५५ हैं व आगे इनकी गतिविधियों में विकास की विपुल उज्ज्वल सम्भावनाएं हैं । जैन समाज को यह अनुपम देन आचार्य प्रवर की युगानुकूल मौलिक देन है । नैतिक जागरण व व्यक्ति सुधार के आन्दोलन १. अणुव्रत आन्दोलन संवत् २००५ के फागुण शुक्ला द्वितीया को सरदारशहर में आपने इस आन्दोलन का सूत्रपात किया, जिसमें छोटे-छोटे व्रतों के आधार पर सार्वजनीन नैतिक आचार-संहिता बनायी गयी । धर्म, सम्प्रदाय, वर्ग, वर्ण के भेद से परे जनजन को इस संहिता को अपनाने हेतु उद्बोधन दिया गया। स्वयं आचार्यश्री ने देश के कोने-कोने तक प्रलंब यात्राएं कीं। भारत में नैतिकता की प्रतिष्ठापना के लिए चलने वाला मात्र यही एक आन्दोलन है, जिसके साथ कोटि-कोटि जन जुड़े हैं, जिसे शीर्षस्थ राजनेताओं, न्यायाधीशों, जन-नायकों, साहित्यकारों और पत्रकारों का समर्थन व सहयोग मिला है । २. नया मोड़ संवत् २०१७ के राजनगर चातुर्मास में आचार्यश्री ने सामाजिक कुरूढ़ियों के उन्मूलन हेतु 'नया मोड़' का आह्वान किया ताकि व्यक्तिगत जीवन सात्विक बनसके । इस आन्दोलन से नारी जागृति के कार्यक्रम को विशेष बल मिला । ३. भावात्मक एकता एवं सर्वधर्म समभाव साम्प्रदायिक समभाव हेतु आचार्यश्री ने संवत् २०११ के बम्बई चातुर्मास के अवसर पर पंचसूत्री कार्यक्रम दिया तथा भगवान् महावीर पच्चीससौवें निर्वाण महोत्सव पर दिल्ली में जैन समाज में एकता के लिए प्रयास किए, जिससे जैन समाज के एक प्रतीक, एक ध्वज व एक सिद्धान्त ग्रन्थ 'समण सुत्त' का निर्माण हुआ | आपने जैन, सनातन, बौद्ध, मुसलमान, ईसाई धर्म के आचार्यों के साथसोहार्द भाव बनाया । ४. प्रेक्षा ध्यान आपने धर्म को मात्र प्रवचन व उपदेश का विषय मानकर उसे प्रायोगिक बनाने हेतु 'प्रेक्षा ध्यान' पद्धति का आविष्कार किया। अब तक प्रेक्षाध्यान शिविरों के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003668
Book TitleHe Prabho Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSohanraj Kothari
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1989
Total Pages206
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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