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________________ कार्मन कणों का सीमांत अवशोषण उत्तर अहिंसा की भावना पर अच्छा प्रकाश डालता है ( देखियें, मरडिया, 1992 पेज, 13-14 ) । फिर भी, हमारा लक्ष्य यह होना चाहिये कि हम दो इंद्रिय या उससे उच्चतर इंद्रियों वाले जीवों की न तो स्वयं हिंसा करें और न दूसरों को करने के लिये प्रेरित करें । 6.4 जैन विश्वीय काल - चक्र (JTC) या व्यवहार काल-चक्र जैनों का यह विश्वास है कि यह विश्व सान्त या सीमित है और इसमें विविध प्रकार का जीवन, यहां तक कि मनुष्य जीवन भी पाया जाता है। इसमें अनेक जगत होते हैं जिनसे (तीन अधोलोक, मध्यलोक तथा ऊर्ध्वलोक एवं चार- नरक, तिर्यंच, मनुष्य तथा देवलोक होते हैं) प्रत्येक अधिष्ठित जगत में चक्रों की अनन्त श्रेणियां चलती रहती हैं। इनमें आधी उत्सर्पिणी (प्रगतिमान) और आधी अवसर्पिणी (अवनतिमान) श्रेणियां होती हैं। लेकिन इन श्रेणियों के रूप भिन्न-भिन्न होते हैं जिनके कारण जगत में कहीं न कहीं (यदि भरत क्षेत्र में नहीं, तो विदेह क्षेत्र में) एक जीवित तीर्थंकर अवश्य होता है। इनमें से प्रत्येक अर्धचक्र छह-छह काल खंडों (आरे) में विभाजित होते हैं। यहां हम सुख को 'सु' (या h-happy) और दुःख को 'दु' ( या m-misery) के संकेतों से व्यक्त करेंगें । अवनतिमान अर्ध काल-चक्र के लिये निम्न क्रमवर्ती काल-खंड होते हैं : 1. सुषमा - सुषमा या अति - आनंदकाल, सुसुसु या hhh 2. सुषमा या आनंदकाल, सुसु या hh 3. सुषमा - दुषमा (दुःख की अपेक्षा आनंद अधिक) सुसुदु या hhm 4. दुषमा - सुषमा ( आनंद की अपेक्षा अधिक दुःख) सुदुदु या hmm 5. दुषमा ( दुःख) दुदु या mm 6. दुषमा - दुषमा ( अति - दुःखकाल), दुदुदु, या mmm इस अर्ध अवनतिमान छह काल-खण्डों के बाद प्रगतिमान छह काल-खण्ड आते हैं जिनके क्रमवर्ती नाम निम्न हैं: 7. दुषमा - दुषमा (अति - दुःखकाल), दुदुदु, mmm 8. दुषमा (दुःख) दुदु, mm 9. दुषमा - सुषमा ( आनंद की अपेक्षा अधिक दुःख) सुदुदु, hmm 10. सुषमा - दुषमा (दुःख की अपेक्षा अधिक सुख), सुसुदु, hhm 11. सुषमा (सुख), सुसु या hh 12. सुषमा - सुषमा (अति-सुख), सुसुसु, hhh Jain Education International 67 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003667
Book TitleJain Dharm ki Vaignanik Adharshila
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanti V Maradia
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2002
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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