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आत्मा एवं कर्म-पुद्गलों का सिद्धान्त 9. लघु कार्मिक पुद्गल (पुण्य) भी समाहित हुए हैं।
इस प्रकार, जैन विज्ञान में नौ आधारभूत (आध्यात्मिक) तत्त्व (या तथ्य) माने गये हैं। (इनमें उपरोक्त प्रथम वर्ग (1-6) बहुत व्यापक है। इनमें पाँच अस्तिकाय समाहित होते हैं जिनका वर्णन बाद में (अध्याय 4.4) किया गया है। इन तत्त्वों के यथार्थ क्रम के विषय में खंड 2-5 देखिये)।
बल कवच
बल कवच
चित्र 2.6 कुछ तत्त्वों की परिभाषा : अ. कार्मिक बंध; ब. कार्मिक आस्रव; स.
कार्मिक बल; द. कवच के कारण कर्मों की निर्जरा; इ. मुक्त
आत्मा
यह माना जाता है कि ये तत्त्व अनादि काल से हैं और ये प्रकृति के नियमों के अनिवार्य अंग हैं। ये विश्व के विकास की व्याख्या भी करते हैं। महापुराण के अनुसार - "यह जानो कि इस संसार को किसी ने नहीं बनाया, जैसे - समय। इसका न आदि है और न अन्त है।
यह मूलभूत तत्त्वों, जीवन और अन्य घटकों पर आधारित है।"
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