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________________ मूल पारिभाषिक शब्द (Key Words) इस पुस्तक के प्रत्येक अध्याय के अंत में संस्कृत और प्राकृत के मूल पारिभाषिक शब्द दिये गये हैं और उनके अनुरूप अंग्रेजी अनुवाद भी दिया गया है। फिर भी, ऐसा प्रतीत होता है कि निम्नलिखित मूल शब्दों का यथार्थ अनुवाद नहीं हो सकता, लेकिन उनका उपयोग इस पुस्तक में बारबार किया गया है। जो लोग जैनधर्म से परिचित नहीं हैं, उनके लिये इन परिभाषिक शब्दों और उनके अर्थ का ज्ञान उपयोगी होगा । 1. जैन 2. दिगम्बर / श्वेताम्बर : 3. कर्म / कर्म पुद्गल : 4. मोक्ष आत्मा / जीव 6. तीर्थकर / जिन 7. योग 5. Jain Education International : : : (अ) संज्ञा : जैनधर्म का पालन करनेवाला (ब) विशेषण : जैन धर्म से सम्बन्धित जैनों के दो प्रमुख सम्प्रदाय : दिगम्बरों के साधु अचेल या नग्न होते हैं और श्वेताम्बरों के साधु सवस्त्र होते हैं । वह तत्त्व जो आत्मा के पुनर्जन्म की नियति निर्धारित करता है। यह भौतिक 'कर्म कणों - कार्मोन से बने होते हैं । पुनर्जन्म से मुक्ति प्राप्त करने के बाद की अवस्था (निर्वाण ) कर्म- पुद्गलों से संयुक्त या शुद्ध चेतन द्रव्य जैनों के धर्म-प्रवर्तक शलाकापुरुष, जैनों के सर्वज्ञ आध्यात्मिक देव पुरुष शरीर, मन और वचन की प्रवृत्तियां For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003667
Book TitleJain Dharm ki Vaignanik Adharshila
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanti V Maradia
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2002
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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