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क्या त..लौं.
अस्तु । इस विवेचन से पाठक भली भाँति समझ गये होंगे कि जो दो पन्ने तपागच्छीय यति कान्तिविजय के नाम से मुद्रित करवाये हैं वे बिलकुल कल्पित हैं आगे चल कर हम यह बतलाने की चेष्टा करेंगे कि लौंकामत और स्थानकमार्गी पन्थ के विद्वानों के पास लौंकाशाह के जीवन लिखने में प्रमाणों का अभाव क्यों है ? और ऐसे कल्पित पन्ने क्यों बनाये जाते हैं पाठक ध्यान दे कर पढ़े।
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