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________________ १३ क्या त० य० लौं● और बादशाह के मिलाप की बात तो सत्य हो जाती अन्यथा यह भी काल्पनिक प्रतीत होती है । इस मिलाप के लिए स्वामी मणिलालजी ने अपनी "प्रभुवीर पटावली” पृष्ट १६४ पर फुटनोट में लिखा है कि अगर लौंकोशाह का जन्म वि० सं० १४८२ के स्थान में १४७२ का समझा जाय तो लौकाशाह को खजाँचीपना नहीं तो बादशाह के साथ मिलाप का उल्लेख तो संभव हो सकता है । स्वामीजी को क्या वह मालूम नहीं है कि दुकानदार अपने चोपड़े से एक पन्ना निकाल देता है तो सब चोपड़े झूठे ठहरते हैं। मान लो कि आप लौंकाशाह का जन्म समय १४८२ के. बदले वि० सं० १४७२ का समझ लो तो भी फिर लग्न समय बदले बिना काशाह और बादशाह का मिलाप संभव हो नहीं सकता । यदि लग्न समय भी सं० १४९७ के बदले वि० सं०. १४८७ का मान लेंगे तो भी आपकी इष्टसिद्ध नहीं होगा। क्योंकि लौकाशाह के हटवाड़ा में वि० सं० १५०० में एक पुत्र होने के बाद अहमदाबाद जाने की बात आपके मार्ग में रोड़े डालेगी । यदि लौकाशाह के पुत्र का समय सं० १५०० के बदले १४९०का मान लोगे तो हमारे नये विद्वान् स्वामी संतबालजी क्या कभी चौक नहीं उठेंगे ? । कारण उन्होंने दावे के साथ लिखा है कि काशाह का जन्म वि० सं० १४८२ कार्त्तिक सुदि १५ को हुआ । जब श्राप सं १४८७ में लौंकाशाह का विवाह करवाते. हो तो संत बालजी के मतानुसार लौंकाशाह का लग्न ५ वर्ष की वय में और पुत्र जन्म ८ वर्ष की वय में मानना होगा । अतः पहिले जाकर घर में संतबालजी से तो पूछलो कि भाई मैं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003664
Book TitleShreeman Lonkashah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherShri Ratna Prabhakar Gyan Pushpmala Phalodhi
Publication Year1937
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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