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ऐ० नो० की ऐतिहासिकता
1 २५० रहस्य के तौर पर बतलाता है ? अतः स्वतः श्रापकी नोंध की सत्यता में संदेह होजाता है।
वस्तुतः लौकाशाह का जीवन कैसा था, इसका तात्विक विवेचन हमने “लौकाशाह के जीवन पर ऐतिहासिक प्रकाश" नामक पुस्तक में लौंकाशाह के समकालिक साहित्य के आधार पर भिन्न २ विषयों पर पञ्चोस प्रकरण लिख कर, इसी पुस्तक के साथ मुद्रित करवा दिया है जिन्हें इच्छा हो वहाँ देखलें। ___ उदाहरणार्थ, उस लेख का सारांश यह है:--"लोकाशाह का जन्म वि० सं० १४८२ में लीबडी नगर में दशा श्रीमाली डूंगरशाह की चूडा भार्या की कुक्षि से हुआ था। जब लौकाशाह
आठ वर्ष के हुए तब आपके पिता का देहान्त होगया। लौकाशाह की बाल्याऽवस्था में आपकी भुत्रा (फूफी) के बेटे लखमसी ने आपका जो थोड़ा बहुत द्रव्य शेष बचा था उसे हड़प कर लिया बाद में लौंका की १६ वर्ष की वय में उनकी माता भी कालकवलित होगई। लौकाशाह एक दम से निराधार होगए और लीबड़ी छोड़ अहमदाबाद आये । वहाँ कुछ काल तक नौकरी कर अपनी मिथ्याऽभिमानिता के कारण उसे बीच में ही छोड़ कोड़ी टकों की थैलो ले नाणावटी का धंधा करना शुरू किया। उस समय लौकाशाह स्वयं सदा देवपूजा व सामायिकादि क्रिया करते तथा यतियों के यहाँ उपासरों में व्याख्यानादि सुनने जाया करते थे । यतियों के प्राचारादि के विषय में लौकाशाह और यतियों के आपस में तकरार होगई। लौकाशाह की प्रकृति अति उप्र और अभिमान वाली थी। अतः यतियों ने उनका अपमान कर उपासरा से बाहिर कर दिया। तब लौकाशाह वहीं बाहिर आ के बैठ
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