________________
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
occoo.
0.00❖❖❖0?.
सम्राट् अकबर प्रतिबोधक – जगत्गुरु जैनाचार्य श्रीविजयहीर सूरीश्वरजी महाराज
กติก
0
लौंका मताधिपति पूज्य मेघजीस्वामी अपने शिष्य समुदाय के साथ लौकामतका परित्यागकर आचार्यश्री के चरणकमलों में पुनः जैन दीक्षा ग्रहण कर रहे हैं । इस समय तक लौंकामत के सब साधु मुहपती हाथ में ही रखते थे ।