________________
-6
NAAMUNAUPAL
-
-
__ सम्राट अकबर प्रतियोधक। आचार्य विजयहीर सूरीश्वरजी
और लौंकामत के साधु
"तथाऽहम्मदाबाद नगरे लुका मताऽधिपतिः ऋषिमेघजी नामास्वकीय मताऽऽधिपत्यं दुर्गतिहेतुरिति मत्वा रज इव परि• त्यज्य पञ्चविंशति मुनिभिः सह सकल राजाऽधिराज पातिशाहि श्री भकब्बर राजाज्ञा पूर्वकं तदीयाऽऽतोद्य वादनादिना महा मह पुरस्सरं प्रव्रज्य यदीय पादाऽम्भोज सेवा परायणो जात"
पटावली समुच्चय पृष्ट ७२ अहीं थी फुट फाट शरू थई मेघजी नामना एक स्थविर ने कोई कारण थी २७ ठाणा सहित गच्छ बहार करवामां आव्या, तेथी तेओ हीरविजयसरि पासे गया अने तेमना गच्छ मां मल्या
स्था० स्वामि मणिलालजी कृत प्रभुवीर पट्टावली १८१ पृष्ठ पर
x “इसी समय से फूटफाट चली, मेघजी नाम के एक स्थविर को किसी कारण से ५०० ठाणा सहित गच्छ बाहिर कर दिया. इससे वे हीरविजय सरि के पास गये और उनके गच्छ में मिल गए"। स्था० श्रीमान वाडीलाल मोतीलाल शाह कत
- ऐतिहासिक नोंध पृष्ट १०
अन्यान्य लेखकों ने पृथक २ समय साधुओं की अलग २ संख्या लिखी है तब वाढीलाल मोतीलाल शाह ने सबको शामिल कर ५०० साधु लिखा
वास्तव में यह ठीक ही है। क्योंकि असत्यमत में रह कर आत्मार्थी अपना हित कब करेंगे?
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
___www.jainelibrary.org