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जिनवरि भाषिउ जिनमत जाणि, लुंकट मत फोकट म वषाणि, जिनमत ए मत अंतर घणउ, सावधान थइ सहु को सुणउ.१५१
दुहा.
मदि झिरतु मयगल किहां, किहां आरडतूं ऊंट ? पुन्यवंत मानव किहां, किहां अधमाधम खूट ? १५२ राजहंस वायस किहां, भूपति किहां दास ? सपत्त भूमि मंदिर किहां, किहां उडवलेवास ? १५३ मधुरा मोदक किहां लवण, किहां सोनूं किहां लोह ? । किहां सुरतरु किहां कयरड्डु, किहां उपशम किहां कोह १ १५४ किहां टंकाउलि हार वर, किहां कणयरनी माल ? शीतल विमल कमल किहां, किहां दावानल झाल ? १५५ भोगी भिक्षाचर किहां, किहां लहिवं किहां हाणि ? जिनमत लुंकट मत प्रतिइ, एवड अंतर जाणि. १५६ आविइ इणि दूसम समइ, जिन मत मानई आज, ते नर पुरुषोत्तम हुसिइ, लहिसिइ शिवपुर राज. १५७
अथ चुपइ. लुंकट मतनु किसिउ विचार, जे पुण न करइ शौचाचार, शौच विहुणउ श्री सिद्धांत, पढतां गुणतांदोष अनंताधन०१५८ फणगर देखी उंदिर डरइ, निसासा डचका जिम करइ, राति दिवस एहनई परि एह, परनिंदा नवि लाभइ छेह. १५९ पातक भय देखाडइ घणउ, बहु आरंभ करइ घर तणु, कूट कपट मायाना घणी, जाते दिनि थासिउ रेवणी. १६०
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