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क्या० लौं० ३२ सूत्र लिखे थे
हालत में सुज्ञ पाठक स्वयं सोच सकते हैं कि उस समय के लोग लौकाशाह को किस दृष्टि से देखते थे । आगे हम यह बतायेंगे कि लौकाशाह के समय में जैन समाज की क्या परिस्थिति थी, वाचक वृन्द इसके लिए राह देखें ।
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