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बारह वर्ष तक वे जड़भरत की तरह जीवन जीये और देह छोड़ दिया। अपूर्व और असाधारण बात : ___ मोह का आवरण ट जाने के बाद कितना अपूर्व समत्व माधोजी को प्राप्त हुआ था ! वैसे वे निरक्षर थे, अनपढ़ थे, फिर भी समत्व का वैभव कितना महान् था ?
- धन-माल लेकर पत्नी चली गई। - लोगों ने घर का छप्पर भी नहीं छोड़ा। - घर में न कपड़ा रहा, न बिछोना रहा, न कुछ खाने को रहा ।
सब कुछ चला गया... फिर भी समत्व नहीं गया ! किसी के प्रति भी रोष, रीस या क्रोध नहीं आया ! यह क्या सामान्य बात है ? नहीं, यह असाधारण और अपूर्व बात है।
- लोगों से कुछ भी माँगना नहीं, भोजन भी नहीं माँगना ! - किसी से बात नहीं करना, वह भी बारह वर्ष तक !
समता को व्यापक अर्थ में समझना होगा ! न राग, न द्वेष - इसको कहते हैं समता ! माधोजी पागल नहीं बन गये थे ! शून्यमनस्क नहीं बन गये थे । मौन धारण करने के लिए ही उनके मुँह में गुरु ने शालिग्राम-पत्थर रखा था । जिह्वा पर विजय पाने का ही वह उपाय था ।
पत्नी धन-माल लेकर चली गई, तो पत्नी के ऊपर क्रोध नहीं आया, दुर्भाव नहीं आया ! दुःख में निकट का स्नेही चला जाये तो क्या होता ? जरा स्वस्थ दिमाग से सोचो । मात्र कहानी सुनकर चले नहीं जाना । यह सत्य घटना है...। इस कलियुग में घटी हुई घटना है... एक डाकू-चोर-व्यभिचारी पुरुष के जीवन की घटना है ! आप तो सज्जन हो न? सदाचारी और समझदार हो न? कहिए, इस प्रकार पत्नी चली जाय तो क्या हो जाय ?
सभा में से : भयंकर क्रोध ! महाराजश्री : लोग घर में लूट मचाये तो ? सभा में से : तुरंत पुलिस स्टेशन पर फोन ! महाराजश्री : शरीर में भूत...डाकिनी...शाकिनी आयी है...ऐसा समझकर ओझा वगैरह मारने लगे तो ? सभा में से : हम डंडा लेकर मारने लगे ! अथवा बचने के लिए भाग
शान्त सुधारस : भाग १
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