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शान्त सुधारस
प्रवचन : २३
: संकलना
नमि राजर्षि व इन्द्र का संवाद । देवराज इन्द्र, राजर्षि की स्तुति करता है । वस्तु के वास्तविक स्वरूप को जानें । मैं अकेला आया हूँ, अकेला जाऊँगा । श्रीकृष्ण और बलराम ।
जीव अकेला ही स्वर्ग में, नरक में और मोक्ष में जाता है ।
आत्महित भी अकेले ही कर लेना है ।
लव-कुश का गृहत्याग
ममत्व का बोझ नीचे ले जाता है ।
परभाव
शराब का नशा ।
ममत्व टूटा, राम स्वस्थ हुए । एकत्व और समत्व से मुक्ति ।
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