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शान्त सुधारस प्रवचन : २२ : संकलना :
* परभाव के आवरणों को चीर डालो ।
पुद्गल-राग ।
शेर जैसी आत्मा पराधीन है। * पुद्गल की पहचान कर लो। * आत्मविचार - चंदनवृक्ष की शीतल
हवा । * समत्व के साथ एकत्व का चिंतन । * नमि राजर्षि : समत्व-एकत्व का
उत्सव । * नमि राजर्षि व इन्द्र का संवाद ।
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