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१०. संयमधर्म का अच्छा पालन करने के मनोरथ चित्त में जगते हैं क्या ?
इन प्रश्नों पर चिंतन करना । अपनी डायरी में उत्तर लिखना । इस प्रकार आत्मावलोकन करना । - संसार-भावना से भावित होना है । - संसार-भावना से भावित होकर संसार के प्रति विरक्त बनना है । - संसारविरक्ति ही आत्मानन्द की जननी है । - संसारविरक्ति आने पर राग-द्वेष मंद हो जायेंगे । - संसारविरक्ति आने पर अन्तरात्मभाव जाग्रत होगा, उसमें स्थिरता होगी और
परमात्मा के प्रति प्रीतिभाव जाग्रत होगा । संसार-भावना भाते-भाते संसार से विरक्त बनें, यही मंगल कामना । आज बस, इतना ही।
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शान्त सुधारस : भाग १
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