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________________ ५. मेरी माँ के पति का भाई होने से मेरा चाचा भी होता है । ६. मेरी सौतन के बेटे का लड़का है, इसलिए पौत्र भी कहा जाएगा । ७. इस बच्चे का जो पिता है वह मेरा भाई है, क्योंकि हम दोनों की माँ एक ही है । ८. इस बच्चे का पिता तू (कुबेरदत्त) मेरी माँ का पति होने से मेरा पिता होता है । ९. तू मेरे चाचा का ( इस बच्चे का पिता है, अतः मेरा पितामह है । १०. मैंने तेरे साथ शादी की थी, अतः तू मेरा पति है । ११. यह कुबेरसेना तेरी दूसरी पत्नी है, इसलिए मेरी सौतन है; इसने तेरे को जन्म दिया है, इसलिए तूं मेरा भी पुत्र माना जाएगा । १२. और, मेरे देवर का तूं पिता होने से मेरा श्वसुर भी होता है । १३. कुबेरदत्त, तेरी जो माता है, वह मेरी भी माता है । १४. यह बच्चा, एक संबंध से मेरा चाचा होता है, इसलिए उसकी जो माँ है वह मेरी पितामही भी होती है । १५. तू मेरा भाई है, तेरी यह पत्नी कुबेरसेना मेरी भाभी होगी । १६. और, मेरी सौतन के बेटे की बहू होने से (यह कुबेरसेना तेरी पत्नी है) मेरी पुत्रवधू भी होगी । १७. मेरे पति (तेरी) की यह कुबेरसेना माता है, अतः मेरी सास भी होती है । १८. मेरे पति की (तेरी) दूसरी पत्नी होने से यह कुबेरसेना मेरी सौतन भी कहलाएगी। कुबेरदत्त पहचान गया कुबेरदत्ता को । कुबेरदत्ता ने अपने पास कपड़े में बाँधकर रखी हुई दोनों अँगुठियाँ भी बतायी। इतने में वहाँ कुबेरसेना भी आ गई । उसने भी अँगुठियाँ पहचान ली । कुबेरदत्त फूट-फूटकर रो पड़ा । कुबेरसेना दहाड़ मार-मारकर रोने लगी । दोनों पश्चात्ताप की आग में जलने लगे । - कुबेरदत्त संसार के प्रति विरक्त हो गया । उसने संसारत्याग किया और साधुजीवन स्वीकार कर लिया । - कुबेरसेना भी संसार का त्याग करना चाहती थी, पर छोटे बच्चे के पालन की जिम्मेदारी होने से उसने श्राविका - जीवन के व्रत अंगीकार किये । साध्वी कुबेरदत्ता ने वहाँ से अन्यत्र विहार कर दिया । संसार भावना Jain Education International For Private & Personal Use Only २१७ www.jainelibrary.org
SR No.003661
Book TitleShant Sudharas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherVishvakalyan Prakashan Trust Mehsana
Publication Year
Total Pages302
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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