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________________ ( ११ ) थी, इस कारण जान पड़ता है कि पुन्नाट संघ कित्तूरसंघ भी कहलाता था । श्रवणबेलगोलके १९४ वें नम्बरके शिलालेखमें—जो शक संवत् ६२२ के लगभगका लिखा हुआ है - कित्तूरसंघका उल्लेख है और प्रो० हीरालालजी भी इसे पुन्नाट संघका ही दूसरा नाम अनुमान करते हैं । पुन्नाट शब्दका एक अर्थ नागकेसर भी है * और कर्नाटक प्रान्त में नागकेसर कसरतसे होती है । वहाँ नागकेसरके जंगलके जंगल नज़र आते हैं । जान पड़ता है, इसी कारण इस देशको पुनाट संज्ञा प्राप्त हुई होगी । पुंनाग और पुंनाट पर्यायवाची शब्द हैं । मुनिसंघ और उनका इतिहास | होता है संघ शब्दका अर्थ समूह है । यद्यपि मुनि, आर्यिका श्रावक और संघ प्रसिद्ध है; परन्तु मुख्यतः यह शब्द मुनिसमूहके लिए ही व्यवहृत हास अभीतक प्रायः अन्धकारमें छुपा हुआ है और शायद आगे भी जा सकेगा । क्योंकि उनके बतानेवाले साधनों का प्रायः अभाव है । मालूम हो सका है, उसे लिपिबद्ध कर देना उचित मालूम होता है । * देखो श्रीयुत् एल० आर० वैद्यकी 'दि स्टेण्डर्ड संस्कृत इंग्लिश डिक्शनरी ' । Jain Education International For Private & Personal Use Only श्राविकारूप चतुर्विध मुनिसंघों का इति । उसपर पूरा प्रकाश नहीं डाला फिर भी इस विषय में जो कुछ www.jainelibrary.org
SR No.003657
Book TitleHarivanshpuranam Purvarddham
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Nyayatirth
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages450
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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