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________________ (९) अन्तर दिखाई देता है । इसके सिवाय जिनसेन स्वामीके शिष्य गुणभद्राचार्यद्वारा रचित उत्तरपुराणके अन्तर्गत जो हरिवंशका चरित्र है, उसमें और इस हरिवंशपुराणके कथानकमें भी यत्र तत्र भिन्नता है । पुन्नाटसंघ और पुन्नाटदेश हरिवंशपुराणके कर्ता जिनसेन पुन्नाटसंघकी परम्परामें हुए हैं, जैसा कि ग्रन्थप्रशस्तिसे विदित होता है व्युत्सृष्टापरसंघसंततिबृहत्पुन्नाटसंघान्वये । श्रीयुत वामन शिवराम आपटेके सुप्रसिद्ध संस्कृत-इंग्लिश-कोशमें 'पुन्नाट' का अर्थ 'कर्नाटक देश' लिखा हुआ है । कई संस्कृत कोशोंमें 'नाट' शब्द भी मिलता है और उसका अर्थ भी कर्नाटक किया गया है । सो पुन्नाट और नाट दोनों लगभग समानार्थवाची हैं । ग्रीक-पण्डित टालेमीने अपने भूगोलमें इसी पुन्नाट देशका 'पौनट' नामसे उल्लेख किया है । कनड़ी साहित्यमें भी 'पुन्नाड' राज्यका प्रचुरतासे उल्लेख है । मैसूर जिलेकी होग्गडेवन्कोटे' नामकी तहसीलमें कित्तूर नामका ग्राम है, जिसका प्राचीन नाम कीर्तिपुर था । यह पुन्नाट-राज्यकी राजधानी था । . आचार्य हरिषेणने अपने बृहत् कथाकोशके भद्रबाहु-कथानकमें लिखा है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003657
Book TitleHarivanshpuranam Purvarddham
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Nyayatirth
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages450
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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