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________________ २६ * स्याद्वादसिद्धि सहयोग दिया। इन सब सत्पुरुषोंके सौजन्यका ही प्रस्तुत फल है और उसका श्रेय इन्हींको प्राप्त है, अन्यथा मैं अकेला क्या कर सकता था। __ अन्तमें मैं उन ग्रन्थकारों, सम्पादकों और लेखकोंका भी आभारी हूँ जिनके ग्रन्थों आदिसे कुछ भी सहायता मिली है। सम्पादक दरियागंज, देहली । दरबारीलाल कोठिया, ६ अक्तूबर १६५०, , (मुख्याध्यापक श्रीसमन्तभद्रविद्यालय) (विषय-सूचीका शेषांश) विषय कारिका विषय कारिका ६. जीव-ब्रह्मविचार १०८-१२५१६. ............ १-६१ ५०. वेदसे ब्रह्मज्ञानकी १. अनेकधर्मात्मक वस्तु सिद्धिका निरा" १२६-१३३ की असंभवताकी ११, ब्रह्मज्ञानका आशंका और उसका - फल १३४-१३८ । निराकरण "" १-३ १०. ब्रह्म तथा अविद्या कल्पित २. बौद्धोंद्वारा एक वस्तु भेदकी सविस्तर में अभिमत कार्यआलोचना १३६-८७ कारणतारूप धर्म१३. शून्यैकान्तमें भेदका दृष्टान्त ४-५ दोष प्रतिपादन १८८ १४. स्याद्वादकी समी ३. अन्यापोहसे धर्मभेद चीनता __ "" १८६ माननेका खण्डन ६३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003653
Book TitleSyadvadasiddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Nyayatirth
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1950
Total Pages172
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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