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________________ uu8 ती सूत्रकृतांगे द्वितीय श्रुतस्कंधे प्रथमाध्ययनं. सरीरं से जढ़ा पाम एकेइ पुरिसे मंसान अनिनिवटित्ताएं नवदं सेका यमानसो मंसे अयं ही एवमेव नचिके परिसे नवदंसे तारो च्यमानसो आया इयं सरीरं से जहा णाम एकेइ पुरिसे कर ला यामलकं अनिनिवटित्ताणं नवदंसेका यमानसो करतले अयं यामलए एवमेव चि के पुरिसे नवदंसेत्तारो मानसो या इयं सरीरं से जहा पाम एकेइ पुरिसे दहिन नवनीयं अनिनिव टिनाएं नवदंसेका प्रयमानसो नवनायं प्रयंत दही एवमेव चि रिसे जाव सरीरं से जढ़ा पाम एकेइ परिसे तिलेदितो तिल्नं नि निघटित्ताणं नवदंसेका यमानसो तेनं यं पिन्नाए एवमेव जाव स रीरं से जहा णाम एकेइरिसे इकतोखातरसं अनिनिवटित्ताणं नवदं सेका यमानसो खोतर से अयं बोए एवमेव जाव सरीरं से जढ़ा पाम एके परिसे रीतोरिंग अनिनिवटित्ताणं वदंसेका प्रयमानसो रणीयं ग्गी एवमेव जाव सरीरं एवं प्रसंते प्रसंविक्रमाणे जेसिं तं सुयकायं भवति तं यन्नोजीवो यन्नं सरीरं तम्हा ते मिठा ॥ १६ ॥ 0 - (सेजहाणामए के० ) ते जेम यथा दृष्टांते ने तेम कही देखाडे बे. नाम इति संभावनायेबे ( केइपुरिसे के० ) कोई एक पुरुष ( कोसी के० ) पडीयार की (सिंके ० ) खड़ काढीने (अनिनिवटित्ता के ० ) देखाडे ने (नवदंसेजा के ० ) कहे (मानसो के०) हे प्रायुष्यमंतो या (यसी के०) तलवार (यंकोसी के०) ए पडियार एम जुदा जुदा देखाडी खापे ( एवमेव बिकेइ पुरिसे निनिवटित्ताजवर्द से तारोययमान सोयायाइयंसरीरं के० ) जेम ए पडिहार ने ए खड़ एम् बन्ने जुदा जु दा कर देखाडे ते एवो कोई पुरुष शरीराने जीवने जुदो जुदो करी देखाडनार जगत मां नथी (सेजहाणामए के० ) ए वचन यथा दृष्टांते कर देखाडेबे नाम इति संनाव नायें (पुरिसे मुंजा सिघं के० ) जेम कोइ एक पुरुष मुंज एटले तृण थकी तेनो गर्न नूत जे शलीतेने ( अनिनिवटित्ताणं के० ) जुदा जुदा काढीने (नवदंसेका के० ) देखाडे जे ए ने ए रानी एम देखाडे के (खयमानसोके०) ग्रहो श्रायुष्यमंत ( मुं इयं सियं के० ) ए तृण घने ए शली (एवामेवन बिकेइ पुरिसे नवदंसेत्तारो यमान सोयायाइयंसरीरं के० ) एम आत्मा यने शरीरने जुदो जुदो करी देखाडनार कोइ पुरुष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003652
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1880
Total Pages1050
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size42 MB
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