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________________ अनुक्रमणिका. धिकार बे. ए अध्ययनमां मोह इवनार पुरुषने ग्रहण करवा योग्य जे सम्यक ज्ञान, चारित्र, मोक्षमार्ग प्रसाधक तेनुं विशेष कररी पच्चीश गा थाम वर्णन करेलुं बे. रूडी शिक्षारूप चारित्रानुष्ठानने खादान एटले ग्रहण करवुं तेनुं इव्यथी तथा नावथी शुवस्वरूप कयुं बे. ॥ अथ षोडशाध्ययनस्यानुक्रमणिका ॥ १६ शोलमुं गाथा नामा अध्ययन में एमां एक उदेशक अने एकज य धिकार. यागल कहेला पंदरे अध्ययनोमां जे विधिरूप तथा प्र तिनिषेधरूप जावो कह्या, ते प्रमाणे जे खाचरण करें, ते साधु कहेवा य, एवो या अध्ययनमां उपदेश करेलो बे एमां ब्राह्मण, श्रमण, निकु ने निर्यथ, ए चार शब्दोना अर्थ तथा तेमां शा शा गुणो होय ? ते दे खाड्या बे या अध्ययन पद्यबंध नथी पण गद्यबंध बे. ॥ अथ ॥ ॥ द्वितीय श्रुतस्कंधस्य सप्ताध्ययनानुक्रमणिका ॥ Jain Education International ... ॥ तत्र ॥ ॥ प्रथमाध्ययनस्यानुक्रमणिका ॥ प्रथम पौंमरिकनामा अध्ययन जे. एमां एक नदेशक ने कज अधिकार एमां पौंमरिक बे प्रकारनां बे, एक इव्यपरिक ने बीजुं नावपमरिक, त्यां जे क मलादिक ते व्यपरिक धने सम्यकूदर्शन, चारित्र, वि नयवान् अध्यात्ममूर्त्ति एवा जे श्रमण साधु ते नाव पौरिक जाणवा. ते साधुउनो या पौंमरिकमां अधिकार जावो. या अध्ययनने सीतशतपत्रनी उपमा थापी बे, तेथी या अध्ययननुं नाम पौंमरिक कस्युं बे. या अध्ययनमां पुष्करिणीने विषे स्थित एवां पौंमरिक कमलने प्राप्त करना राना दृष्टांतें करी परतीर्थिक सर्व मोक्षोपायना अनाव की कर्म बांधे खने तेने पौंमरिक रूप यथावस्थित For Private Personal Use Only হবে ५३३ ५५३ www.jainelibrary.org
SR No.003652
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1880
Total Pages1050
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size42 MB
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