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जैन शास्त्रों की असंगत बातं !
होती हैं, दूसते यह हमारे बहुत निकट है। मङ्गल का मार्ग पृथ्वी के क्रांतिवृत्त के बाहर है, इसलिये षडभान्तर ( opposition) के समय हम उसे वैसा ही देख सकते हैं, जैसा पूर्णिमा के दिन
चन्द्र को। सूर्य से दूर होने के कारण हमें उसको रात भर {आकाश में देखने का मौका मिलता है। मंगल का व्यास ४२१५
मील का है, और पृथ्वी से करीब ३३६१६००० मील की दूरी पर है। मंगल सूर्य से लगभग १४१०००००० मील की दूरी पर है
और सूर्य की परिक्रमा करते उसे ६८७ दिन लगते हैं। मंगल का वर्ण रक्त वर्ण है और लगभग १५ वें वर्ष उसका रंग विशेष उद्दीप्त दीख पड़ता है, कारण उस समय वह पृथ्वी के समीप आ जाता है। मंगल को अपना अक्ष-भ्रमण करने में २४ घन्टे ३७ मिनिट २२ सेकेन्ड लगते हैं। पृथ्वी की भांति मंगल का अक्ष भी क्रांतिवृत्त के साथ लगभग ६६ डिगरी का कोण बनाता है, इसलिये मंगल पर भी ऋतु-परिवर्तन होता रहता है। पृथ्वी को तरह मंगल पर भी वायु-मन्डल बहुत दूर दूर तक फैला हुआ है, परन्तु बहुत पतला है। वहां के वायुमण्डल में carbonic acid gas की मात्रा अधिक प्रतीत होती है। जिस प्रकार पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के पास बर्फ जमी हुई है, उसी प्रकार मंगल के ध्र वों पर भी बर्फ दिखाई पड़ती है। मंगल के अधिकांश पृष्ठ पर लाल और हरे रंग के मैदान तथा हजारों मील लम्बी नहरें ( canals ) दिखाई पड़ती हैं। अनुमान किया जाता है कि लाल रंग के मैदान वहां की मिट्टी लाल होने
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