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जैन शास्त्रों की असंगत बातें !
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( कुछ को छोड़कर ) तप्त वर्ण जैसा दिव्य वर्ण हैं। इन ग्रहों के विमानों की लम्बाई चौड़ाई के बाबत राहु के विमान का नमूना तो आप गत लेख में देख ही चुके हैं कि जीवाभिगम सूत्र क्या कह रहा है और जम्बूद्वीप पन्नति क्या कह रहा है । जीवाभिगम सूत्र ग्रहों के गोलाकार विमानों की लम्बाई चौड़ाई आधा योजन की और मोटाई एक कोस की बता रहा है । यह है ग्रहों के बाबत का कुछ वर्णन । नक्षत्र और तारों के लिये भी वही चार अग्रमहिषियां ( पटरानियां) और उनके परिवार की देवियां और हाथी, घोड़े आदि के रूप में उठाये आकाश में भ्रमण करने वाले देवताओं आदि का अर्थहीन वर्णन उसी प्रकार है जैसा सूर्य्य चंद्र और ग्रहों का है। आकाश में उड़ाये फिरने वाले हाथी घोड़े रूप वाले देवों की संख्या में कुछ कमी कर दी है । नक्षत्रों के प्रत्येक के विमान को ४००० देव उठाये फिरते हैं जो चारों दिशाओं में हाथी, घोड़े, सिंह, बैल के रूप में हजार से तकसीम कर दिये हैं और तारों के प्रत्येक के २००० देव उठाये फिरते हैं जो चारों दिशा में ५०० हाथी, घोड़े, ५०० सिंह और ५०० बैल के रूप में हैं 1 पाठक वृन्द ! इन सिंह, बैल और हाथी घोड़े के रूप में विमानों को उठाये फिरने वाले देवों के बाबत आप यह न खयाल कर लें कि विचारे रिक्शा गाड़ी चलाने वालों की तरह यह देव भी अपमान के भाजन हो रहे होंगे, कदापि नहीं । शास्त्रों में लिखा है कि विमान तो सव अधर भ्रमण कर ही रहे हैं, इनको उठाये फिरने
एक एक
विमान
५००
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