________________
जैन शास्त्रों की असंगत बातें ! वाले यह देव तो स्वेच्छा से अपने आपको अन्य देवों के सामने इन्द्र और बड़े देवों के सेवक कहला कर बड़प्पन और सम्मान पाने की लालसा से विमानों को उठाये फिरते हैं; और इसी में सुख अनुभव कर रहे हैं। आश्चर्य है, शास्त्रों में इन हाथी घोड़े
आदि रूप में निरन्तर भ्रमण करने वाले देवों के विषय में विश्राम के लिये बदलाई कराने आदि आदि का कुछ भी प्रबंध नहीं बताया। बिचारे रात दिन एक क्षण भी बिना विश्राम इतनी लम्बी लम्बी आयुष्य (जघन्य ३ पल्योपम ) किस प्रकार व्यतीत करते होंगे। जैन शास्त्रों में इन ज्योतिषी देवों के विषय की कई बातें समन्वय रूप में लिखी हुई हैं उनमें से कुछ इस प्रकार हैं-ज्योतिषी देवों की गति की शीघ्रता की तुलना के विषय में श्री गौतम स्वामी के प्रश्न के उत्तर में भगवान फरमाते हैं कि चन्द्रमा से सूर्य की गति शीघ्र, सूर्य से ग्रहों की गति शीघ्र, ग्रहों से नक्षत्रों की गति शीघ्र और नक्षत्रों से तारों की गति शीघ्र है। सब से मंद गति चन्द्रमा की ओर सव से शीव्र गति तारों की है । ज्योतिषी देवों की सम्पत्ति (Financial position) के विषय में प्रश्न के उत्तर में भगवान् फरमाते हैं कि तारों से अधिक सम्पत्ति वाले नक्षत्र, नक्षत्रों से अधिक सम्पत्ति वाले ग्रह, ग्रहों से अधिक सम्पत्ति वाला सूर्य और सूर्य से अधिक सम्पति वाला चन्द्रमा है । सब से अल्प सम्पत्ति वाले तारे और सबसे अधिक सम्पत्ति वाला चन्द्रमा है।
ज्योतिषी देवों की संख्या के प्रश्न के उत्तर में भगवान
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org