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जैन शास्त्रों की असंगत बातें !
से होकर पड़ता है जिससे चन्द्रमा पार्थिव प्रकाश (Earth shine) से चमकता है। __ चन्द्रमा की कलाओं के बाबत राहु की निराधार कल्पना के खन्डन में ऊपर कही हुई बातें तो हैं ही, मगर चन्द्रमा पर पार्थिव ( Earth shine) से दिखाई देनेवाले इस धुंधले भाग को जब हम देखते हैं तो सर्वज्ञों के बताये हुए राहु के गोल चक्कर की कल्पना काफूर हो जाती है यानी नहीं टिकती। यदि ध्रुव राहु (नित्य राहु ) का कोई विमान गोल चकर का होता और चन्द्रमा को ढके हुए होता (कुछ) तो क्या हम चन्द्रमा के पिन्ड की सम्पूर्ण गोलाई की शकल देख पाते ? कदापि नहीं। जितने भाग पर राहु का गोल चक्कर आ जाता, चंद्रमा की गोल रेखा ( Line ) को दबा देता। धुंधला प्रकाश हम देख ही नहीं पाते । पाठकवृन्द, इस राहु के विमान की कल्पना ने तो सर्वज्ञों की सझ पर अच्छी तरह प्रकाश डाल कर दिखा दिया कि व्यावहारिक ज्ञान शायद ही काम में लाया गया हो।
चंद्रमा के पिन्ड में जो काले धब्बे ( Spots ) दिखाई देते हैं, उनके बाबत जैन शास्त्रों में कहीं कुछ लिखा नजर नहीं आता हालांकि यह धब्बे बिना किसी यंत्र की सहायता के आंखों से दिखाई देते हैं। इन धब्बों के बाबत भी कोई मनगढन्त कल्पना अवश्य होनी चाहिये थी परन्तु इसके बाबत किस कारण से मौन रहे, यह समझ में नहीं आता।
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