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जैन शास्त्रों की असंगत बातें !
की लम्बाई जब हम अढाई द्वीप के नकशे पर दृष्टि डाल कर देखते हैं तो मालूम होता है कि पद्म द्रह से मानुष्योतर पर्वत तक इसने करीब २५ अरब माइल लम्बा भू-भाग घेर लिया है। यह है आपकी छोटी सी गंगा नदी जिसकी चौड़ाई १२५००० कोस और लम्बाई २५ अरब माइल की है। ____ अब लीजिये नगरों का कुछ वर्णन। जीवाभिगम सूत्र की तीसरी प्रतिपत्ति में विजया राजधानी का वर्णन आता है। वहीं इस विजया राजधानी को १२००० योजन यानी २४०००००० ( दो कोटि चालीस लाख ) कोस लम्बी और इतनी ही चौड़ी तथा ३७६४८ योजन से कुछ अधिक इसकी परिधि बतलाई है। क्या इतने लम्बे चौड़े नगर भी आबाद हो सकते हैं ? ____ और क्या केवल नगर के बड़ेपन ही की कल्पना करनी है, उसमें होने वाले सारे कार्य-कलापों को दृष्टि से ओझल कर देना है ? खैर, २४०००००० कोस लम्बी चौड़ी राजधानी तो अपने को देखना नसीब कहां मगर जम्बूद्वीप पन्नति में हमारे भारत की अयोध्या का जो वर्णन आता है उसकी सैर तो कर लें। इस अयोध्या का नाम वहां पर बनिता भी दिया है। यह वनिता १२ योजन लम्बी और ६ योजन चौड़ी बताई गई है। इन योजनों को शास्वत माप के २००० कोस के हिसाब से गुणा करें तब तो हमारी अयोध्या २४००० कोस लम्बी और १८००० कोस चौड़ी हो जाती है जिसमें
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