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जैन शास्त्रों की असंगत बातें !
मिगसिरेण मिगमंसं भोच्चा कज्जं साहेति ॥ ३ ॥ अहिं णवणीएहिं भोच्चा कज्जं साहेति ॥ ४ ॥ पुणवसुणा घरणें भोच्चा ॥ ५ ॥ पुसे खिरेण भोच्चा ॥ ६ ॥ - असिलेसाहिं दीवग मंसेणं भोच्चा ॥ ७ ॥ महाहिं कसरि भोच्चा ॥ ८ ॥
पुत्रा फग्गुणिहिं मेढ़ग मंसेनं भोच्चा ॥ ६ ॥ उत्तरा फग्गुणिहिं णक्खि मंसेनं भोच्चा ॥ १० ॥ हत्थे वत्थाणियगं भोच्चा ।। ११ ।। चित्ताहि मुगसूएणं भोच्चा ।। १२ ।। सातिणा फलाहिं भोच्चा ॥ १३ ॥ विसाहाहिं अतिसिया भोच्चा ।। १४ ।। अणुराहाहि मासाकुरेण भोच्चा ॥ १५ ॥ ठ्ठा कीलट्ठिएण भोच्चा ॥ १६ ॥ मुलेणं मुलग सरणं भोच्चा ॥ १७ ॥ पुव्वासाढाहिं आमलग सारिरेण भोच्चा ॥ १८ ॥ उत्तराषाढाहिं बिल्ले हि भोच्चा ॥ १६ ॥
अभियेणं पुप्पेति भोच्चा ॥ २० ॥
सवणेणं खीरेणं भोच्चा ॥ २१ ॥ धणिट्ठाहिं जसे भोन्चा ।। २२ ।। सय भिसया तुम्बरातो भोच्चा ॥ २३ ॥ पुन्वा भद्यवयाहिं कारियएहिं भोच्चा ।। २४
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