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________________ जैन शास्त्रों की असंगत बातें ! वनावट और पृथ्वी, २५ सेन्टीमीटर, कारण सूर्य बहुत दूर है । इस प्रकार बृहत ज्वार के दिनों में ५६+२५=८१ सेन्टीमीटर का खिंचाव होता है परन्तु नीचे - लघु ज्वार के दिनों में ५६-२५-३१ सेन्टीमीटर का खिंचाव रह जाता है । ज्वार भाटे की ऊंचाईनीचाई अधिकतर समुद्र तट की चन्द्रमा और सूर्य की स्थितियों के उपर निर्भर रहती है । संसार में सबसे ऊंचा ज्वार अमेरिका के तट पर नोवास्कोशिया में फण्डी की खाड़ी Bay of Fundy में आता है। यहां पर ज्वार की लहरें लगभग ७० फीट ऊंची हो जाती हैं। जल की गहराई और स्थल की दूरी का भी गहरा प्रभाव पड़ता है । जहां जल बहुत अधिक गहरा होता है वहां ज्वार की लहरें बड़ी तेजी से आगे बढ़ती है— जैसे एटलान्टिक महासागर की विषुवत् रेखा के समीपवाले स्थानों में ज्वार की बाढ़ ५०० मील प्रति घन्टे के हिसाब से आगे बढ़ती है। पृथ्वी अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व की तरफ घूमती है, इसलिये चन्द्रमा पूर्व से पश्चिम की तरफ चलता मालूम होता है जहां जल की अधिकता है, वहां चन्द्रमा का खींचाव अधिक प्रत्यक्ष मालूम होता है । यही कारण है कि दक्षिणी गोलाद्ध के उस जल खण्ड में जहां केवल आस्ट ेलिया ही विशाल स्थल खण्ड है, चन्द्रमा का विशेष प्रभाव दिखाई पड़ता है और जल का वेग पूर्व से पश्चिम की तरफ बहता हुआ प्रत्यक्ष दिखाई देता है । जब ज्वार किसी नदी की धारा से टकराता है तो नदी के Jain Education International For Private & Personal Use Only १४६ www.jainelibrary.org
SR No.003650
Book TitleJain Shastro ki Asangat Bate
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaccharaj Singhi
PublisherBuddhivadi Prakashan
Publication Year1945
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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