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जैन शास्त्रों की असंगत बातें !
ऊँचा हो जाता है। चन्द्रमा प्रति २४ घन्टे ५२ मिनिट में पृथ्वी की परिक्रमा करता है अर्थात् जो स्थान आज ७ वजे चन्द्रमा के सामने पड़ेगा वह कल ७ बज कर ५२ मिनिट पर फिर चन्द्रमा के सामने पड़ेगा। ज्वार आने के ठीक ६ घन्टे १३ मिनिट पश्चात् भाटा आता है। ज्वार दो तरह का होता है बृहत ज्वार ( Spring tide) और लघु ज्वार ( Neap tide )। चन्द्रमा की आकर्षण शक्ति के अलाबा पृथ्वी पर सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्ति का भी प्रभाव पड़ता है। ज्वार भाटे में प्रायः चन्द्रमा की आकर्षण शक्ति ही प्रधान रहती है परन्तु सूर्य का प्रमाव भी पड़ता है जिन दिनों में सूर्य और चन्द्रमा दोनों पृथ्वी की एक ही दिशा में होते हैं, उन दिनों में दोनों की आकर्षण शक्तियों का संयुक्त प्रभाव पड़ता है। फल स्वरूप ज्बार का वेग अधिक हो जाता है और समुद्र का जल अधिक ऊंचा उठता है । यही कारण है कि पूर्णिमा और अमावश्या के दिनों में समुद्र में ऊंचा या बृहत ज्वार ( Spring tide ) होता है। इसके विपरित शुक्ल और कृष्णाष्टमी को सब से नीचा या लघु ज्वार ( Neap tide ) होता है इन दिनों सूर्य और चन्द्रमा समकोण की स्थिति में होते हैं और दोनों की आकर्षण शक्तियां एक दूसरे के विरुद्ध काम करती हैं। गणना से यह अनुमान हुआ है कि चन्द्रमा की आकर्षण शक्ति जल को अपनी तरफ ५६ सेन्टीमीटर खिंचती है और सूर्य की आकर्षण-शक्ति
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