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जैन शास्त्रों को असंगत वातें !
सूर्योदय से मिलाकर रवाना होंगे और उसी घड़ी को पश्चिम की तरफ करीब १०४० माइल चल कर सूर्योदय पर देखेंगे तो पूरा ६० मिनट का अन्तर मिलेगा। यानि जो सूर्योदय कलकत्ते में उस घड़ी में ६ बजे हुआ था वह इतनी दूर (१०४० माइल) पश्चिम आ जाने पर उसी घड़ी में ७ बजे होगा। इस प्रकार यह प्रत्यक्ष साबित हो जाता है कि एक मिनट में करीब १७ माइल की रफ्तार हुई। अब आप विचार सकते हैं कि एक मिनट में १७ माइल की गति और ४४२०४८ माइल की गति में कितना बड़ा अन्तर है ! ___जैन शास्त्र ( भगवती सूत्र ) में लिखा है कि कर्क संक्रान्त में सूर्य उदय होते वक्त ४७२६३३० योजन की दूरी से दृष्टिगोचर होता है। यानि करीब १८६०५३३७७ (अठारह करोड़ नव्वे लाख तिरेपन हजार तीन सौ सतहत्तर) माइल की दूरी से। मगर हम देख यह रहे हैं कि १०० माइल की दूरी पर जो सूर्य उदय. हो गया है, वह यहां यरीब ६ मिनट बाद हमें दिखाई पड़ेगा। यहां पर इस बात को न भूलें कि जैन शास्त्रों में पृथ्वी को चपटी (समतल ) माना है। विचारना यह है कि १८६०५३३७७ माइल की दूरी से दृष्टिगोचर होने वाला सूर्य फिर सौ-दो-सौ माइल की दूरी पर ही छिप कहाँ जाता है ? अगर हम भूमि को गोल मान कर गोलाई की आड का बहाना कर लेते तो भी काम बन सकता था मगर हमने तो इस युक्ति को पहिले से ही कुल्हाड़ी मार दी।
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