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जैन शास्त्रों की असंगत बातें ! पूर्वक बिचारने का मौका देता है और अन्वेषण का रास्ता खुला रखता है। उक्त सम्पादक महोदय से मेरा विनम्र अनुरोध है कि विज्ञान को अविश्वास योग्य ठहराने का प्रयास न करके मेरे प्रश्नों के समाधान करने की चेष्टा करें जिस में सफलता होने पर सर्वज्ञ बचनों पर स्वयमेव ही श्रद्धा होनी निश्चित है ।
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