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जैन शास्त्रों की असंगत बातें ! हुई तो कहने लगे कि जो ११ अंग सूत्र हैं उनमें भगवान का शुद्ध आध्यात्मिक ज्ञान है, बाकी के सूत्रों को सब बातें विश्वास योग्य नहीं भी हो सकती हैं। मैंने जब अंग सूत्रों की असत्य प्रतीत होनेवाली बात उनके सन्मुख रखी तो चुप हो गये
और कहने लगे कि सत्रों पर श्रद्धा रखना ही उचित है। मैंने कहा-महाराज, भगवान खुद फरमा रहे हैं कि असत्य को सत्य समझना मिथात्व है तब प्रत्यक्ष में जो बात असत्य है उस पर आप श्रद्धा रखने को कैसे कह सकते हैं, तो कुछ उत्तर नहीं मिला।
११ अंग, १२ उपांग, ४ मूल, ४ छेद, १ आवश्यक, इस प्रकार ३२ सूत्र कहलाते हैं, जिनके नाम निम्न लिखित हैं
रयारह अङ्ग वारह उपाङ्ग चार मूल १ आचारङ्ग
१२ उवबाई २४ दसवैकालिक २ सुएगड़ांग
१३ रायप्रश्रेणी २५ उत्तराध्ययन ३ ठाणाङ्ग
१४ जीवाभिगम २६ नन्दी ४ सामवायाङ्ग १५ पन्नवणा २७ अनुयोगद्वार ५ मगवती १६ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति चार छेद ६ ज्ञाताधर्म कथाङ्ग १७ सूर्यप्रज्ञप्ति २८ वृहत्कल्प ७ उपासकदशाङ्ग १८ चन्द्रप्रज्ञप्ति २६ व्यवहार ८ अन्तगढ़ दशाङ्ग १६ पुप्किया ३० दशाश्रतस्कन्ध ६ अनुतरोववाई २० पुफलिया ३१ निशिथ १० प्रश्न व्याकरण २१ कथिया आवश्यक ११ विपाक
२२ कथवण्डसिया ३२ आवश्यक सूत्र २३ वन्हि दशा
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