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जन शास्त्रों की असंगत बातें !
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निश्चत करना और भगवान श्रेयांस प्रभु से वर्षों के अंक भी ८४,७२ ६० ३०,१० पूर्वी के जैसे ही बताना क्या स्वाभाविक माना जा सकता है ? कदापि नहीं । जिस स्थान पर आयु का पूर्वी में बनाना समाप्त किया है, उसके नीचे श्रेयांस प्रभु की आयु वर्षो में बताई है। आप देखेंगे कि दसवें और ग्यारहवें भगवान के वर्षों के दरमियान अकस्मात् कितना बड़ा अन्तर पड़ गया है । कहां सत्तर संख छप्पन पद्म वर्ष और कहाँ चौरासी लाख बर्ष । इसको हम केवल अस्वाभाविक ही नहीं परन्तु असम्भव भी कह सकते हैं। वैसे तो पूर्वो में बताई हुई इतने अधिक बर्षों की आयु का होना ही असम्भव है मगर पूर्वो की समाप्ति और वर्षों के प्रारम्भ के स्थान में तो ऐसा प्रतीत होता है कि कल्पना करने वालोंने आगे पीछे तक नहीं सोचा । इतिहासज्ञों के कयाश के अनुसार भगवान महावीर और भगवान पार्श्वनाथ की आयु के आंकड़ों को यदि हम इस तालिका से अलग कर दें तो बाकी के बाईसों ही भगवान की आयु की संख्या को कल्पित के सिवाय और कुछ नहीं कहा जा
सकता ।
अब जरा तालिका में वर्णित शरीर- लम्बाई की संख्या पर गौर कीजिये । इसमें भी यदि भगवान महावीर और पार्श्वनाथ के शरीर की लम्बाई की संख्या को अलग कर दें तो बाकी के बाईसों ही भगवान के शरीर की लम्बाई के आंकड़ों का क्रम कल्पित नजर आता है। पांच सौ धनुष्य से पचास-पचास
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