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( २० ) कौटुबिक नीति का प्रधान साक्ष्य सम्पूर्ण कुटुन्य को सुखी बनाना है । इस के लिये छोटे-बड़े-सब में एक दूसरे के प्रति यथोचित विनय, आज्ञा-पालन, नियमशीलता और अप्रमाद का होना ज़रूरी है । ये सब गुण — आवश्यक-क्रिया' के आधारभूत पूर्वोक्त तत्त्वों के पोषण से सहज ही प्राप्त हो जाते हैं।
सामाजिक नीति का उद्देश्य समाज को सुव्यवस्थित रखना है । इस के लिये विचार-शीलता, प्रामाणिकता, दीर्घदर्शिता और गम्भीरता आदि गुण जीवन में आने चाहिये, जो 'आवश्यक-क्रिया के प्राणभूत पूर्वोक्त छह तत्त्वों के सिवाय किसी तरह नहीं आ सकते । ___इस प्रकार विचार करने से यह साफ़ जान पड़ता है कि शास्त्रीय तथा व्यावहारिक-दोनों दृष्टि से 'आवश्यक-क्रिया' का यथोचित अनुष्ठान परम-लाभ-दायक है।
प्रतिक्रमण शब्द की रूढिः। प्रतिक्रमण शब्द की व्युत्पत्ति 'प्रति+क्रमणप्रतिक्रमण', ऐसी है। इस व्युत्पत्ति के अनुसार उस का अर्थ 'पीछे फिरना, इतना ही होता है, परन्तु रूढि के बल से 'प्रतिक्रमण' शब्द सिर्फ चौथे 'आवश्यक' का तथा छह 'आवश्यक' के समुदाय का भी बोध कराता है। अन्तिम अर्थ में उस शब्द की प्रसिद्धि इतनी अधिक हो गई है कि आज-कल 'आवश्यक'
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