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परिशिष्ट ।
२३ पापस्थान' कह कर 'सव्वस्स वि देवसिय, इच्छाकारेण संदिसह भगवन्' तक कहे । जब गुरु 'पडिक्कमह' कहे तब 'इच्छं, मिच्छा मि दुक्कडं' कहे । फिर प्रमार्जनपूर्वक बैठ कर 'भगवन् सूत्र भगँ ?' कहे। गुरु के 'भणह' कहने पर 'इच्छं' कह कर तीनतीन या एक-एक वार नमुक्कार तथा 'करेमि भंते' पढ़े । फिर 'इच्छामि पडिक्कमिडं जो मे देवसियो०' कह कर 'वंदितु' सूत्र पढ़े । फिर दो वन्दना दे कर 'अब्भुट्टिओमि अभिंतर देवसियं खामेडं, इच्छं, जं किंचि अपत्तियं०' कह कर फिर दो वन्दना देवे और 'आयरिय उवज्झाए' कह कर 'करेमि भंते, इच्छामि ठामि, तस्स उत्तरी' आदि कह कर दो लोगम्स का काउस्सग्ग करके प्रगट लोगम्स पढ़े । फिर 'सव्वलोए' कह कर एक लोगस्स का काउस्सग्ग करे और उस को पार कर 'पुक्खरवर०, सुअस्स भगवओ०' कह कर फिर एक लोगस्स का काउस्सग्ग करे । तत्पश्चात् 'सिद्धाणं बुद्धाणं, सुअदेवयाए०' कह कर एक नमुक्कार का काउस्सग्ग कर तथा श्रुतदेवता की स्तुति पढ़ कर 'खित्तदेवयाए करेमि०' कह कर एक नमुक्कार का काउस्सग्ग करके क्षेत्रदेवता की स्तुति पढ़े। बाद खड़े हो कर एक नमुक्कार गिने और प्रमार्जनपूर्वक बैठ कर मुहपत्ति पडिलेहन कर दो वन्दना दे कर 'इच्छामो अणुसद्धिं'कह कर बैठ जाय । फिर जब गुरु एक स्तुति पढ़ ले तब मस्तक पर अञ्जली रख कर 'नमो खमासमणाणं, नमोऽहत्सिद्धा०' कहे । बाद श्रावक 'नमोस्तु वर्धमानाय०' की तीन स्तुतियाँ और श्राविका 'संसारदावानल.'
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