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प्रतिक्रमण सूत्र ।
इच्छं' कह कर मुहपत्ति पडिलेहे | बाद 'इच्छामि०, इच्छा ० पोसहं पारेमि ? यथाशक्ति; इच्छामि०, इच्छा० पोसहो पारिओ, तहत्ति' कह कर हाथ नीचे रख कर ' सागरचंदो' इत्यादि पोसह पारने की गाथा पढ़े | बाद 'इच्छामि०, इच्छा० मुहपत्ति पडिलेहुं ? इच्छं' कह कर मुहपत्ति पडिलेह के 'इच्छामि०, इच्छा ० सामाइयं पारेमि' इत्यादि पूर्वोक्त विधि से सामायिक पारे ।
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चैत्य-वन्दन-स्तवनादि । [चैत्य-वन्दन । ]
सकलकुशलवल्ली पुष्करावर्तमेघो, दुरिततिमिरभानुः कल्पवृक्षोपमानः । भवजलनिधिपोतः सर्वसंपत्तिहेतुः, स भवतु सततं वः श्रेयसे शान्तिनाथः ॥ १ ॥
[ श्रीसीमन्धरस्वामी का चैत्य-वन्दन । ] (१)
सीमन्धर परमातमा, शिव-सुखना दाता । पुक्खलवर विजयेजयो, सर्व जीवना त्राता ॥१॥ पूर्व विदेह पुंडरीगिणी, नयरीये सोहे । श्रीश्रेयांस राजा तिहां, भविअणना मन मोहे ||२||
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