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________________ प्रतिक्रमण सूत्र । - ३१. कलावती-राजा शव की पतिव्रता पत्नी । इस के दोनों हाथ काटे गये परपीछे देव-सहायता से अच्छे हो गये थे। " ३२. पुष्पचूला--अन्निकापुत्र-प्राचार्य की योग्य-शिष्या,जिस ने केवलज्ञान पा कर भी उन की सेवा की थी। ... -आव० पू०६८८ । ३३-४०. पद्मावती आदि पाठ-श्रीकृष्ण वासुदेव की पतिव्रता स्त्रियाँ । . . . , -अन्तकृत् वर्ग-५ । ४१-४७ यता आदिसात-तीव्र स्मरण-शक्ति वाली श्रीस्थूलभद्र की बहिनें। ...-भाव० पृ०६९३ । ---- - ४७-मन्नह जिणाणं सज्झाय।... * मन्नह जिणाणमाणं, मिच्छं परिहरह धरह सम्मत्तं । छविह-आवस्सयम्मि, उज्जुत्तो हाइ पइदिवसं ॥१॥ अन्वयार्थः-'जिणाणम्' तीर्थङ्करों की 'आणं' आज्ञा को 'मन्नह' मानो, 'मिच्छं' मिथ्यात्व को 'परिहरह' त्यागो, 'सम्मत्तं' सम्यक्त्व को 'धरह' धारण करो तथा] 'पइदिवसं' हर दिन 'छविह-आवस्सयम्मि' छह प्रकार के आवश्यक में 'उज्जुत्तो' सावधान होइ' हो जाओ ॥१॥ + मन्यध्वं जिनानामाज्ञां, मिथ्यात्वं परिहरत धरत सम्यक्त्वम् । . षड्विधावश्यके, उद्युक्तो भवति प्रतिदिवसम् ॥१॥ १-'उज्जुत्ता होह' ऐसा पाठ हो तो विशेष संगत होगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003649
Book TitlePanch Pratikraman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherAtmanand Jain Pustak Pracharak Mandal
Publication Year1921
Total Pages526
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size17 MB
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