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भरसर की सज्झाय ।
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(१) यक्षा, (२) यक्षदत्ता, (३) भूता, (४) भूतदत्ता, (५) सेणा, (६) वेणा और (७) रेणा, ये श्रीस्थूलभद्र मुनि की सात बहनें ॥१२॥
इत्यादि अनेक महासतियाँ पवित्र शील धारण करने वाली हो गई हैं । इन की जय आज भी वर्त रही है और कीर्ति-दुदुभि सकल लोक में बज रही है ॥ १३ ॥
उक्त भरतादि का संक्षिप्त परिचये ।
सत्पुरुष ।
१. भरत - प्रथम चक्रवर्ती और श्रीऋषभदेव का पुत्र । इस ने आरसा (दर्पण) भवन में अंगुती में से अँगूठी गिर जाने पर नित्यता की भावना भाते २ केवलज्ञान प्राप्त किया ।
प्राव० नि० गा० ४३६, पृ०१६६ ।
२. बाहुबली - भरत का छोटा भाई । इस ने भरत को युद्ध में हराया और अन्त में दीक्षा ले कर मान-वश एक साल तक काउस्सा में रहने के बाद अपनी बहिन ब्राह्मी तथा सुन्दरी के द्वारा प्रतिबोध पा कर केवलज्ञान पाया ।
प्राव० नि० ३४६, भाष्य- गा० ३२-३५, पृ० १५३ ।
१ - - इस परिचय में जितनी व्यक्तियाँ निर्दिष्ट हैं, उन सब के विस्तृत जीवन-वृत्तान्त 'भरतेश्वर बाहुबलि-वृत्ति' नामक ग्रन्थ में हैं । परन्तु आगमादि प्राचीन ग्रन्थों में जिस २ का जीवन-वृत्त हमारे देखने में आया है, उस २ के परिचय के साथ उस २ ग्रन्थ का नाम, गाथा, पेज आदि यथासंभव लिख दिया गया है ।
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