SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 251
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भरसर की सज्झाय । १५५ (१) यक्षा, (२) यक्षदत्ता, (३) भूता, (४) भूतदत्ता, (५) सेणा, (६) वेणा और (७) रेणा, ये श्रीस्थूलभद्र मुनि की सात बहनें ॥१२॥ इत्यादि अनेक महासतियाँ पवित्र शील धारण करने वाली हो गई हैं । इन की जय आज भी वर्त रही है और कीर्ति-दुदुभि सकल लोक में बज रही है ॥ १३ ॥ उक्त भरतादि का संक्षिप्त परिचये । सत्पुरुष । १. भरत - प्रथम चक्रवर्ती और श्रीऋषभदेव का पुत्र । इस ने आरसा (दर्पण) भवन में अंगुती में से अँगूठी गिर जाने पर नित्यता की भावना भाते २ केवलज्ञान प्राप्त किया । प्राव० नि० गा० ४३६, पृ०१६६ । २. बाहुबली - भरत का छोटा भाई । इस ने भरत को युद्ध में हराया और अन्त में दीक्षा ले कर मान-वश एक साल तक काउस्सा में रहने के बाद अपनी बहिन ब्राह्मी तथा सुन्दरी के द्वारा प्रतिबोध पा कर केवलज्ञान पाया । प्राव० नि० ३४६, भाष्य- गा० ३२-३५, पृ० १५३ । १ - - इस परिचय में जितनी व्यक्तियाँ निर्दिष्ट हैं, उन सब के विस्तृत जीवन-वृत्तान्त 'भरतेश्वर बाहुबलि-वृत्ति' नामक ग्रन्थ में हैं । परन्तु आगमादि प्राचीन ग्रन्थों में जिस २ का जीवन-वृत्त हमारे देखने में आया है, उस २ के परिचय के साथ उस २ ग्रन्थ का नाम, गाथा, पेज आदि यथासंभव लिख दिया गया है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003649
Book TitlePanch Pratikraman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherAtmanand Jain Pustak Pracharak Mandal
Publication Year1921
Total Pages526
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy