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प्रतिक्रमण सूत्र । ___ इस गाथा में चार, आठ, दस, दो इस क्रम से कुल चौबीस की संख्या बतलाई है इसका अभिप्राय यह है कि अष्टापद पर्वत पर चार दिशाओं में उसी क्रम से चौबीस प्रतिमाएँ विराजमान हैं ॥५॥
२४-वेयावच्चगराणं सूत्र । * वेयावच्चगराणं सांतगराणं सम्मदिदिठसमाहि
गराणं करेमि काउस्सग्गं । अन्नत्थ० इत्यादि०॥
अन्वयार्थ- 'वेयावच्चगराणं' वैयावृत्यकरनेवाले के 'संतिगराणं' शान्ति करने वाले [ और ] 'सम्मद्दिट्ठिसमाहिगराण' सम्यग्दृष्टि जीवों को समाधि पहुँचाने वाले [ ऐसे देवों की आराधना के निमित्त ] 'काउस्सग्गं' कायोत्सर्ग 'करेमि' करता हूँ।
भावार्थ-जो देव, शासन की सेवा-शुश्रूषा करने वाले हैं, जो सब जगह शान्ति फैलाने वाले हैं और जो सम्यक्त्वी जीवों को समाधि पहुँचाने वाले हैं उनकी आराधना के लिये मैं कायोत्सर्ग करता हूँ।
* वैयावृत्यकराणां शान्तिकराणां सम्यग्दृष्टिसमाधिकराणां करोमि कायोत्सर्गम् ॥
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