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अज्ञानतिमिरभास्कर.
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तेथे इत्यादि सर्व हिंसक काम ब्राह्मणोंके चलाए हुए है. नोले जीवांको बेका, उनका घरवार सर्व पुण्य करके, उनकों मरकी तरकीब बता देते थे.
दान करनेका
प्रचार.
देवताकुं बुलि - तथा दशहरे में ( दशरा), नवरात्रों में जैसें, बकरे मारे जाते है, अनेक देवी देवता भैरव आगे अनेक जैसें, बकरे मारे जाते है. तथा वामीयोके मतमें काली पुराणके रुधिराध्यायमें अनेक जीवांका मस्तक, मांस, रुधिर, प्रमुखकी बलि लिखी है तथा पुराण ज्योतिःशास्त्रमंत्री हिंसा लिखी है. इन सर्व हिंसा के चलाने वाले और हिंसक शास्त्रोंके बनाने वाले ब्राह्मणही है. और वामीयोंकेनी शास्त्र ब्राह्मण, संन्यासी, परमइंस नाथोंके रचे हुए है. देवीभागवत वामीयोंके मतका है, तिसकी टीका नीलकंठशास्त्री काशी के रहनेवालेनें बनाई है, तिसमें देवी की उपासनाकी की प्रशंसा लिखी है. इस बास्ते सर्व हिंसक शास्त्र और मंत्र ब्राह्मणोनेंदी रचे है.
वेदो में भी मंत्र है तंत्र और पुराण प्रमुखोंमें जैसें मंत्र है तैसें वेदोजी है, तिनका नमूना थोमासा नीचे लिखते है । रुग्वेदका ऐत्तरेय ब्राह्मण अष्टम पंचिका खंम २८ “अथातो ब्राह्मणः परिमरो यो दवै ब्रह्मणः परिमरं वेद पर्येनं द्वितो ब्रातृव्याः परिसपत्ना त्रियंते-ययस्याश्ममूर्धा पिन जवति किमं देवैनं स्तृणुते स्तृणुते इत्यैत्तरेय ब्राह्मणेष्ठमपंचिकायाः पंचमोध्यायः । खंम १० पंचिका" । "जयति दतां सेनां यद्युवा एनमुपधावेत् संग्रामं ॥ तैत्तरीये श्रारण्यक ४ प्रपाठक ३७ अनुवाके ।
वेदमें पारण- तत्सत्यं यदमुं यमस्य जंनयोः श्रादधामि तथाहि का प्रयोग हे. तत् खण्फण्मसि ३५ अनुवाके ॥ नत्तुदशि मिजावरी तख्यजे तख्यनतुद गिरीङरनुप्रवेशय ॥ मरीचोरुपसन्तु
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