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हितीयखम. नीकला, तिसके चार मत अर्थात् संघ बने. मूलसंघ, काष्टासंघ माथुरसंघ, और गोप्य संघ. इनमेसें वीसपंथी, तेरापंथी, गुमानपंथी, तोतापंथी, इनकेन्नी परस्पर कितनीक बातोका विरोध है. और मूल श्वेतांबर मतमेंसे पुनमीआ निकला, पुनमीएसें अंचलीश्रा निकला, नागपुरीया तपासें पासचंदीमा मत निकला; पी. ठे खंपक लिखारीने विना गुरुके जिन प्रतिमाका नत्थापक सन्मबिम पंथ निकाला, खुंपकमेंसें बीजा नामकनें बीजा मत निकाला कडुआ बनीयेनें कडुआ मत निकाला, धर्मप्ती ढुंढीएने पाठ कोटि पंथ निकाला, लवजीने मुखबंधे ढुंढकोका पंथ निकाला, धर्म दास बीपीने गुजरातके मुखबंधे ढुंढकोका मत निकाला, रघुनाथ ढुंढकके चेले नीषम ढुढकनें तेरापंथीयोका पंथ चलाया, रामलाल ढुंढकनें अजवी पंथ निकाला, वखता ढुंढकने कालवादी. प्रोका मत चलाया, अब आगे क्या बस हो गई है. वहुत कुमती नवीन पंथ चलावेगे, इन पुर्वोक्त सर्व मताको परस्पर विरोध है. इन सर्व मतोके माननेवाले हिंड लेड तुल्य है; जैसे एक ने नां करती है तब सर्व ने नां करती है. इस वास्ते हिंज्लोक सर्व मतको गोमके नवीन मतोके माननेसे गडुरी प्रवाहकी तरें चलते है, और हल्लो हल्लो करते फिरते है. को इसा बनता है, कोई महमदका कलमा पढता है, कोश कुछ करता है और को कुछ करता है तत्व सर्व मतोके शास्त्र यढके को नहि निकालता है. इस वास्ते गडुरिका प्रवाह करते है. तिसको बुडिमान् परिहरे. कुरुचश्नरेश्वत् . इति नवमा नेद.
अथ आगम पुरस्सर सर्व क्रिया करे ऐसा दशमा नेद लि. खते है. मुक्तिके मार्गमें अर्थात् प्रधान लोक मोक्ष तिसका मार्ग ज्ञान, दर्शन, चारित्र रूपमें प्रमाण को नहि है. एक राग षा:
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